समाज को नए-नए तरीके से बेवकूफ बनाया जाता है इस प्रकार से सनातन को बदनाम करने के लिए लोग नए-नए तरीके अजमाते है

बाज़ारवाद जब जब हावी हो जाता है तब बाज़ार बिलकुल विचार-विहीन हो जाता है और लोगों को इस तरह से गुमराह करने लग जाता है और लोगों को प्रतीत होने लगता है कि बाज़ार उन्हें ठीक वैसे सहूलियत प्रदान कर रहा है जैसे बाज़ार में उपलब्ध यह छिले हुए केले...और इसे खरीदकर खाने वाले स्वयं को सहूलियत के लायक समझने वाले इस कदर गुमराही कें अंधेरे में धकेले जा रहे होते है और लोग समझ ही नहीं पाते कि केले के छिलके उतरने से ज्यादा कठिन वो प्लास्टिक हटाना है जिससे छिला हुआ केला पैक किया हुआ है... इस तरह बाजार ने तीन काम किये,पहला तो यह कि आपसे सहूलियत के नाम पर ज्यादा पैसे वसूल लिया गया, दूसरा यह कि आपको शारीरिक व्यायाम से धीरे धीरे अलग करता हुआ आलसी बना दिया और तीसरा यह कि आपको बीमार सा बना दिया जिससे छोटे छोटे कारणों के लिए चिकित्सक के पास भेज आपकी भविष्य के लिए जमा पूंजी को अनावश्यक खर्च करवा दिया...और लोग यह कभी समझ ही नहीं पा रहे कि उन्हें केले छीलने के आसान कार्य से मुक्त कर प्लास्टिक की पन्नी को हटवा रहे हैं जो कि केले के छिलके छीलने से भी बहुत ज्यादा मुश्किल है !!! ठीक वैसे ही जैसे वामपंथी तथाकथित बुद्धिजीवी इतिहासकारों ने भारतीय सनातन हिन्दू सभ्यता और संस्कृती को बनाया, ये तथाकथित बुद्धिजीवी सनातन संस्कृति को येन केन प्रकारेन नीचा दिखाने की कोशिश करते रहें हैं। ये भारतीय संस्कृति के लिए दीमक से कम नहीं हैं जो जहां रहते हैं उसे ही खोखला करने की कोशिश करते ही रहते हैं। इसलिए बाज़ारवाद और वामपंथी विचारधारा से बचिए...आप सभी सदेव स्वास्थ और खुश रहें जय श्री राम🙏

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